मोहम्मद यूनुस सरकार ने अगरतला मामले में भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया

ढाका
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं के बीच मोहम्मद यूनुस सरकार ने अगरतला मामले में भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया है। अगरतला में बीते दिनों बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ की घटना हुई थी। बांग्लादेश सरकार ने इस घटना को लेकर अपना विरोध दर्ज किया है। अंतरिम सरकार में कानूनी मामलों के सलाहकार ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि भारत को समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।

दरअसल मामला यूं है कि हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों के विरोध में पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सोमवार को हजारों की संख्या में लोगों ने व्यापक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में कथित तौर पर घुस गए और कथित तौर पर तोड़फोड़ की। विदेश मंत्रालय ने इस घटना को बहुत खेदजनक बताया है। बांग्लादेश राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ करने के आरोप में सात लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और सात पुलिसकर्मियों पर लापरवाही के आरोप में ऐक्शन लिया जा चुका है।

मंगलवार को भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच खबर आई कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं, जिन्हें किसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि भारत बांग्लादेश के साथ निरंतर, स्थिर और रचनात्मक संबंध बनाना चाहता है। उन्होंने विदेश मंत्रालय में कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्ला के साथ बैठक के बाद यह टिप्पणी की।

बांग्लादेश के तीखे तेवर
कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘हम समानता और परस्पर सम्मान आधारित मित्रता में यकीन रखते हैं। शेख हसीना सरकार ने चुनावों के बिना सत्ता में बने रहने के लिए भारत समर्थक नीति का पालन किया, लेकिन भारत को यह समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।’