4 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ, सेना के तीनों अंगों के अधिकारी हुए सम्मिलित

सिरोही

माइंड मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट और सेल्फ मैनेजमेंट के टिप्स सीखने के लिए तीनों भारतीय सेनाओं के अधिकारी, जवान ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय शांतिवन पहुंचे हैं। सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा मनमोहिनीवन स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में 4 दिवसीय आंतरिक शक्ति का कायाकल्प राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन का शुभारंभ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर किया।

शुभारंभ पर नई दिल्ली की राज्यसभा की एडिशनल सेक्रेटरी (एचआर) डॉ. वंदना कुमार ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की यात्रा को लेकर 88 वर्ष से चल रही है। संस्था ने स्वच्छता, सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण हर क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। जीवन में ऐसे पल आते हैं, जब हमें अपनी जान बचाते हुए साथी की जान बचानी होती है। ऐसे पल में हमें सेकंडों में निर्णय लेना होता है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्म्स फोर्स हैं। जब हमारी मूल भावना देश के प्रति स्ट्रांग होती तो हम विश्व में सबसे आगे होंगे।

ब्रह्माकुमारीज़ एकमात्र ऐसी संस्था है जो हमें स्व चिंतन और स्व दर्शन करना सिखाती है। डॉ. कुमार ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन सीखने के बाद मेरे जीवन में रोज कुछ न कुछ चमत्कार होता है। यहां से मैंने चार सूत्र सीखे हैं- पहला योग, ज्ञान, धारणा और सेवा। हम रोज कुछ समय के लिए परमात्मा से योग जरूर करें। रोज ज्ञान की नई बातें सीखें। और जो ज्ञान लिया है उसे अपने जीवन में धारण करें, दिव्य गुण अपनाएं। हर एक के लिए विचार शुद्ध और पवित्र रखें। जो सेवा हम अपने परिवार के लिए करते हैं, वैसा हर एक के प्रति हमारा सेवा का भाव हो।

मन का बैलेंस सही होगा तो निर्णय सही होगा
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संदेश में ब्रह्माकुमारीज़ की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि बड़े बदलाव के लिए टीम वर्क जरूरी है। मन जब बैलेंस में रहता है तो हम हर कार्य सहजता से कर पाते हैं। सुरक्षा सेवा से जुड़े फील्ड में हमें बहुत कम समय में निर्णय लेना होता है, ऐसे में यदि हमारा मन शांत है और पॉजीटिव विचारों से भरपूर है और परमात्मा से जुड़ा है तो हमारा सही निर्णय होगा। इसमें हमारी विजय समाई हुई है। अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि हम सभी एक आत्मा हैं। जब हम आत्मिक स्थिति में रहकर सेवा करेंगे तो भौतिक सुख-दुख हमें प्रभावित नहीं करते हैं।

यहां हमें मन के दुश्मनों से रक्षा करना सिखाया जाता है
भारतीय नौसेवा में पूर्व वॉइस एडमिरल एसएन घोरमड़े ने कहा कि जब मैंने पहली बार राजयोग मेडिटेशन का कोर्स किया तो मुझे लगा कि यह तो हमारे मन के लिए बहुत जरूरी है। इसके बाद वे मुख्यालय माउंटआबू आए तो लगा कि यह एकमात्र संस्था है जो मानव का कल्याण कर सकती है। ब्रह्माकुमारीज़ और सेना में कुछ समानताएं हैं। सेना बाहरी दुश्मनों से हमारी देश की रक्षा करती है और ब्रह्माकुमारीज़ हमें मन के दुश्मनों से रक्षा करना सिखाती है। हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाने की कला यहां सिखाई जाती है। जीवन में सबसे जरूरी है, आत्म अनुशासन जो यहां सिखाया जाता है। यह एकमात्र संस्था है जो नारी शक्ति द्वारा संचालित है। इनके जीवन का सिर्फ का एक ही उद्देश्य है मानव कल्याण करना। ब्रह्माकुमारीज़ से ज्ञान लेने के बाद मेरा जीवन पूरी तरह बदल गया। आज वे अमृतवेला 3.30 बजे उठ जाते है तथा राेज आध्यात्मिक सत्संग करते हैं

वर्ष 2001 में हुई सुरक्षा सेवा प्रभाग की स्थापना
वर्तमान में डीआरडीओ मुख्यालय दिल्ली में एडिशनल डायरेक्टर व भारतीय नौसेना के कैप्टन शिवसिंह ने कहा कि सुरक्षा सेवा प्रभाग की स्थापना वर्ष 2001 में की गई। इसका मकसद था कि सुरक्षा से जुड़े हमारे जवानों, अधिकारों को माइंड मैनेजमेंट और सेल्फ मैनेजमेंट के लिए तैयार करना। तब से लेकर आज तक मुख्यालय में वर्ष में दो बार राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाता है। वर्ष 2014 में बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के सभी जवानों के लिए सम्मेलन आयोजित किया गया। इसके बाद सेवा अधिकारियों के साथ उनके परिवार के लिए भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
 
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार

सुरक्षा सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके शुक्ला दीदी ने कहा कि सभी सहभागी पूरी तन्मयता के साथ सभी सेशन अटेंड करें और अपनी जीवन में इन बातों को धारण करेंगे तो जीवन बदल जाएगा।
जयपुर की सबजोन निदेशिका राजयोगिनी बीके सुषमा दीदी ने कहा कि जब पहली बार वे यहां आई तो उन्हे लगा कि वह ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़कर बहुत बड़ी सेवा कर सकती है और इस संकल्प के साथ अपना पूरा जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। मुंबई की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका व प्रेरक वक्ता बीके दीपा दीदी ने कहा कि जब से वह इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्टूडेंट बनी है तब से राेज परमात्मा के महावाक्य सुनती है। और राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करती हूं। इससे ही मेरे जीवन में बदलाव आए। आपने राजयोग मेडिटेशन से सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई। स्वागत गीत मधुरवाणी ग्रुप ने पेश किया। संचालन कर्नल सतीसिंह ने किया। 

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