छोटे शहरों और कस्बों में ऋण-संचालित खपत में जबरदस्त वृद्धि की सराहना करते हुए इसे एक ‘क्रांतिकारी बदलाव’ बताया: वित्त मंत्री

नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छोटे शहरों और कस्बों में ऋण-संचालित खपत में जबरदस्त वृद्धि की सराहना करते हुए इसे एक ‘क्रांतिकारी बदलाव’ बताया। उन्होंने कहा कि ये सब प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के कारण संभव हुआ है।टियर 2, 3 और 4 शहरों और यहां तक कि इससे भी आगे के क्षेत्रों में घरेलू खपत में निर्णायक वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका प्रमाण छोटे शहरों और कस्बों में दोपहिया वाहनों, एसी, रेफ्रिजरेटर, स्मार्टफोन और एफएमसीजी की बिक्री में वृद्धि है। वित्त मंत्री सीतारमण के अनुसार, ग्रामीण भारत अब भारत के विकास का निष्क्रिय पर्यवेक्षक (मूक दर्शक) नहीं है, बल्कि वह इसका सक्रिय चालक है। हाल ही में अपनी 10वीं वर्षगांठ मनाने वाली प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत 53 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे करोड़ों ग्रामीण भारतीय पहली बार औपचारिक वित्तीय प्रणाली (फॉर्मल फाइनेंशियल सिस्टम) में शामिल हुए हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय वयस्कों के पास अब औपचारिक वित्तीय खाते (फॉर्मल फाइनेंशियल अकाउंट) हैं, जो 2011 में केवल 50 प्रतिशत थे। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वित्तीय समावेशन के अभियान का परिणाम है, जिसने आधुनिक भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है। रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि ग्रामीण भारत में 62 प्रतिशत दोपहिया वाहन खरीद अब ऋण द्वारा संचालित होते हैं, जो शहरी क्षेत्रों में 58 प्रतिशत से अधिक है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन की बिक्री में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है। उद्योग के अनुसार, विभिन्न उपभोक्ता वित्त व्यवस्था (फाइनेंसिंग) विकल्पों ने इस शानदार वृद्धि को संभव बनाया है। सरकार के अनुसार, इन बैंक खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि जमा हुई है और इसके परिणामस्वरूप 36 करोड़ से अधिक मुफ्त रुपे कार्ड जारी किए गए हैं, जिन पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी मिलता है। मार्च 2015 में पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या 14.7 करोड़ थी, जिसमें 15,670 करोड़ रुपये जमा थे, जो जमा राशि बढ़कर 53 करोड़ हो गई है, जिसमें कुल शेष राशि 2.31 लाख करोड़ रुपये है। बैंक खातों की संख्या और जमा राशि में वृद्धि इस योजना की वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।

वित्त मंत्री सीतारमण के अनुसार, भारत की ग्रामीण आबादी को पहले एक ऐसी व्यवस्था ने छोड़ दिया था जो “वित्तीय समावेशन” की बातें तो करती थी, लेकिन वास्तव में गरीबों तक ऋण पहुंच का विस्तार करने में बाधाएं खड़ी करती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व ने ग्रामीण गरीबों को वित्तीय प्रणाली में लाने और उनकी क्षमता को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए कई प्रो-पुअर सुधारों और कल्याणकारी नीतियों को लागू किया है, जबकि विपक्ष ने प्रगति को अवरुद्ध किया।

आरबीआई ने हाल ही में कहा कि चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) की दूसरी तिमाही में घरेलू खपत में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि मुख्य मुद्रास्फीति में कमी आ रही है और ग्रामीण मांग में पहले से ही सुधार हो रहा है।

 

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