डिप्टी सीएम ने बैठक में हिंदी में मेडिकल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के निर्देश दिए

भोपाल

डिप्टी सीएम ने समीक्षा बैठक में हिंदी में मेडिकल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने इस दौरान हिंदी में पढ़ाई करने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स से मिले फीडबैक को लेकर भी चर्चा की।

2022 में गृह मंत्री अमित शाह ने लान्च की थी बुक

बता दें कि एमपी में मेडिकल शिक्षा (MBBS Education) के हिंदी पाठ्यक्रम (Hindi Course) के तहत प्रकाशित बुक्स की लॉन्चिंग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (union home minister Amit Shah) ने की थी। 16 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में मेडिकल की पहले सेमेस्टर की तीन किताबें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो केमिस्ट्री लॉन्च की थीं।

अब 20 में से 15 किताबें हिंदी में प्रकाशित

2023 में शुरू की गई एमपी सरकार (MP Government) की इस पहल के तहत वर्तमान में हिंदी में मेडिकल एजुकेशन (MBBS) के तहत 20 में से 15 किताबें हिंदी में उपलब्ध हैं। वहीं वर्तमान में हिंदी में मेडिकल (MBBS) की पढ़ाई का लाभ केवल 10 फीसदी मेडिकल स्टूडेंट ही ले रहे हैं। हिंदी में प्रकाशित मेडिकल पाठ्यक्रम (Medical Books) की किताबें शासकीय मेडिकल कॉलेज (Government Medical College) की लाइब्रेरी(Library) में उपलब्ध हैं।

2023 में शुरू की गई थी पहल

बता दें कि मध्य प्रदेश हिंदी में मेडिकल की शिक्षा देने वाला पहला राज्य (Madhya Pradesh is the first state to provide medical education in Hindi )है। एमपी में साल 2023 में ही मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की पहल की गई थी। एमपी सरकार की इस पहल की केंद्र सरकार ने भी प्रशंसा की थी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने इस पहल की तारीफ करते हुए कहा था कि एमपी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। भारत में शिक्षा क्षेत्र के लिए एक पथ प्रदर्शक पहल है और एक प्रकार का पुनर्जागरण है। सरकार का मानना है कि जब भाषा को नौकरियों या व्यवसायों से जोड़ा जाता है तो वह अपनी समृद्धि और विकास का रास्ता खुद खोज लेती हैं।

NEET पास करने वाले कई स्टूडेंट्स को होती थी परेशानी

एमपी में मेडिकल शिक्षा को हिंदी में उपलब्ध कराने का श्रेय पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री तथा वर्तमान में सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग मंत्री तथा नरेला विधानसभा से विधायक विश्वास सारंग (minister vishwas sarang) को जाता है। दरअसल शिक्षामंत्री रहते हुए विश्वास सारंग के पास कई बार ये मांग पहुंची थी कि मेडिकल का पाठ्यक्रम हिंदी में भी उपलब्ध कराया जाए।

नीट पास करने वाले कई स्टूडेंट ऐसे हैं जो, हिंदी मीडियम से आते हैं। 12वीं कक्षा के आधार पर और कोचिंग में जीतोड़ मेहनत करके ये स्टूडेंट्स नीट तो पास कर लेते हैं। लेकिन जैसे ही मेडिकल की पढ़ाई शुरू होती है, तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्टूडेंट की इस मांग को उठाते हुए मंत्री विश्वास सारंग के प्रयासों से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (former cm shivrajsingh chauhan) के शासन काल में ही मेडिकल की हिंदी में पढ़ाई की शुरुआत हो सकी।

Recent Posts