केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चलेगा केस, ED को गृह मंत्रालय से मिली मंजूरी

नईदिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विवादास्पद शराब घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग केस में आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मंजूरी दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भी मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय (MHA) से मंजूरी मिल गई है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने 56 वर्षीय केजरीवाल को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार करने के बाद विशेष PMLA अदालत के समक्ष उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने हाल में दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को आवश्यक मंजूरी दे दी है। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पांच फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 6 नवंबर को दिए गए उस फैसले के महीनों बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि ईडी को भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 (1) (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218) के तहत मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरह पूर्व मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी के अभाव में आबकारी नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने का मामला दिल्ली की एक अदालत में लंबित था।

क्या है आरोप?

केजरीवाल को उनकी व्यक्तिगत हैसियत के साथ AAP के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी आरोपी बनाया गया है। ED ने पूर्व मुख्यमंत्री को दिल्ली में आबकारी घोटाले का 'मुख्य साजिशकर्ता' बताया था। आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्री, AAP नेताओं और अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करते हुए इस काम को अंजाम दिया।

ईडी ने कहा था कि केजरीवाल अपराध के समय कथित कंपनी जो कि AAP है, के 'प्रभारी' थे, इसलिए उन्हें और उनकी पार्टी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत अपराधों का दोषी माना जाएगा। साथ ही उन पर मुकदमा चलाते हुए उन्हें दंडित किया जाएगा।

ED ने जमानत पर बाहर चल रहे केजरीवाल को 21 मार्च को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था। 17 मई को आरोप पत्र में उनका नाम दर्ज किया। उसमें दावा किया गया कि कुछ शराब व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए कथित तौर पर ली गई 100 करोड़ रुपये की रिश्वत में से 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी (आप) के गोवा चुनाव अभियान के लिए किया गया। ED ने कहा कि केजरीवाल AAP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे धन और उत्पन्न होने के लिए अंततः जिम्मेदार थे।

क्या है आबकारी नीति?

आबकारी मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस नीति को रद्द किया जा चुका है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने कथित अनियमितताओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी।

इसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआई द्वारा 17 अगस्त 2022 को दर्ज FIR का संज्ञान लेते हुए ईडी ने कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 22 अगस्त 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पिछले महीने एजेंसी को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। सीबीआई को अगस्त 2024 में आबकारी नीति से संबंधित समानांतर भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की मंजूरी मिली।