रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू ने दिया केंद्रीय वित्त मंत्रालय को सुझाव

रायपुर

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पूर्व राज्यों, उद्योगपतियों से लेकर वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सभी सेक्टरों के लोगों से सुझाव मांगा है। इसी परिप्रेक्ष्य में रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू ने अपना सुझाव देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लिखा है कि सोने पर लगने वाले आयात शुल्क को कम करने तथा धारा 411 में संशोधन के साथ अन्य मांगों को बजट में शामिल करें ताकि सराफा कारोबारियों की मांग भी पूरी हो सकें।

श्री मालू ने अपने पत्र में लिखा हैं कि पूरे देश में हॉल मार्किंग जेवर विक्रय अनिवार्य करने के साथ देश के सभी इकाईयों में जहां पर सोने के जेवर का निर्माण होता है वहां पर हॉल मार्किंग जेवर निर्माण की अनिवार्यता को इस बजट में शामिल किया जाए। श्री मालू ने बताया कि अभी तक देश के कई जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर की स्थापना भी नहीं हुई है इस कारण वहां के सराफा व्यापारी दूसरी जगह से हाल मार्किंग कराकर या बिना हाल मार्किंग के ज्वैलरी का विक्रय कर रहे है। आवश्यक है कि देश में स्थापित सभी उत्पादक इकाइयों को चाहे वह छोटी हो या बड़ी को अनिवार्य रूप से हाल मॉर्किंग जेवर का निर्माण करने के निर्देश बजट में शामिल करें जिससे सभी उपभोक्ताओं को हाल मॉर्किंग जेवर ही मिलेगा और पूरे देश में बिकेगा भी। पूरे देश में स्थापित सभी उत्पादक इकाइयों से निकलने वाले जेवर में हाल मॉर्किंग लगाकर व्यापारियों को भेजने के लिए निर्देश करने उन्होंने सुझाव दिया।

धारा 411 में युक्तिसंगत संशोधन करते हुए उसमें परंतु शब्द जोड़ा जाए अर्थात सराफा व्यवसाय करते हुए जो सोना एवं चांदी व्यवसायियों द्वारा खरीदा जाता है और इसके लिए बेचने वाले से यदि व्यवसायी द्वारा पर्याप्त दस्तावेज लेकर ग्राहक से सोना – चांदी की खरीदी उचित मूल्य देकर किया जाता है तो पुलिस विभाग द्वारा व्यवसायी पर अनुचित कार्रवाई नहीं किया जाए। धारा 411 में संशोधन किया जाए कि यदि सराफा कारोबारी सोने और चांदी की उचित कीमत एवं पर्याप्त वैधानिक दस्तावेज ग्राहक से लेकर इसकी खरीदी करता है तो वह धारा 411 की कार्यवाही के अंतर्गत नहीं आएगा। जेवर खरीदी के दौरान सराफा कारोबारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है, इसलिए उपरोक्त संशोधन कर इस धारा की सही व्याख्या की जानकारी देकर सराफा कारोबारियों पर होने वाले अव्यवहारिक निर्णयों से राहत दिया जाए।