भोपाल
लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर दोनों ही दल सक्रिय हो गए हैं। देश भर की 56 सीटों में मध्य प्रदेश की पांच सीटें भी शामिल हैं, जिनमें से चार पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा की तरफ से इन सीटों में से दो केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल हैं। प्रदेश के राजनीतिक समीकरण के मुताबिक इन पांच सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है, जबकि चार सीटें भाजपा को मिलना तय है। कांग्रेस में यह पद ओबीसी को आने की सबसे ज्यादा संभावनाएं जताई जा रही है।
भाजपा में आ सकते हैं बाहरी चेहरे
इधर भाजपा के खाते में चार सीटें आने वाली है। माना जा रहा है कि इसमें प्रदेश के दो नेताओं को भेजा सकता हैं, जबकि दो नेता दूसरे राज्य के यहां से राज्यसभा में भेजे जा सकते हैं। अभी भी यही स्थिति है जिसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एल मुरुगन दूसरे राज्य से हैं। जबकि कैलाश सोनी और अजय प्रताप सिंह प्रदेश के ही हैं। प्रदेश भाजपा यहां के कुछ नाम केंद्रीय संगठन को भेज सकती है। जहां पर उम्मीदवार के नामों का अंतिम फैसला होगा। इस दौड़ में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयभान सिंह पवैया का नाम शामिल माना जा रहा है।
कांग्रेस से अरुण यादव को मिल सकता है मौका
अब इसको लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि कांग्रेस किसको राज्यसभा भेजेगी। राज्यसभा में ऐसे नेता को भेजा जाएगा जिन्हें लोकसभा का चुनाव में नहीं उतारा जाएगा। कांग्रेस में चल रही चचाओं के अनुसार पूर्व पीसीसी चीफ और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम शामिल माना जा रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस उनको राज्यसभा भेज सकती है। भाजपा ने हाल ही में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है, इसके चलते कांग्रेस इसी समाज से आने वाले अरुण यादव को राज्यसभा भेज सकती है।
जीतू, कमलेश्वर के भी नाम
इस दौड़ में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल का नाम भी शामिल माना जा रहा है। दोनों ही ओबीसी से आते हैं। जीतू पटवारी को प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी है, ऐसे में वे राज्यसभा के सदस्य बने तो पार्टी को मजबूत करने में उन्हें मदद मिल सकती है। वहीं सिंहावल से चुनाव हारे कमेश्वर पटेल का नाम भी चर्चा में हैं। कमलेश्वर पटेल भी ओबीसी हैं। वे राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। वे सीडब्ल्यूसी के सदस्य भी हैं। छह साल पहले भी कांग्रेस ने विंध्य क्षेत्र से ही राजमणि पटेल को राज्यसभा में भेजा था। इस बार भी यदि विंध्य को साधने का प्रयास कांग्रेस ने किया तो कमलेश्वर को राज्यसभा में जाने का मौका मिल सकता है।